नई दिल्ली।
द्वारका कोर्ट के एक डिस्ट्रिक्ट जज ने डीडीए के एक कमिश्नर (लैंड एंड मैनेजमेंट) को हिरासत में लेकर अदालत के सामने पेश करने का दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है। डीडीए अधिकारी के खिलाफ यह कार्रवाई एक आदेश की अवमानना के लिए की गई। अदालत ने सुनवाई करते हुए नसीरपुर गांव में वादी की लगभग 1000 वर्ग गज जमीन पर तोड़फोड़ या उससे वादी को बेदखल करने पर रोक लगा दी थी। बावजूद डीडीए की कार्रवाई जारी रहने का वादी ने आरोप लगाया, जिस पर अदालत ने यह आदेश दिया है।
एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (SW) अमन प्रताप सिंह ने कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर (सीपीसी) की धारा 32 और 94 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए डीसीपी साउथ ईस्ट को निर्देश दिया कि वह डीडीए के कमिश्नर (लैंड एंड मैनेजमेंट) विकास सिंह को हिरासत में लें और 9 फरवरी या उससे पहले पेश करें। ताकि उन्हें कारण बताओ नोटिस देकर यह पूछा जा सके कि उन्हें तीन महीने के लिए जेल में क्यों न रखा जाए? अदालत ने साफ कहा कि अगर डीसीपी साउथ ईस्ट इस आदेश के अनुपालन में असफल रहते हैं तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत के सामने पेश होकर इसकी वजह बतानी होगी। मामले में अगली सुनवाई 9 फरवरी को होगी।
वादी करमवीर सोलंकी की ओर से वकील राजेश कौशिक ने अर्जी दायर कर मामले में अवमानना कार्रवाई की अदालत से मांग की थी। अर्जी में डीडीए अधिकारी पर इस अदालत के 2 जनवरी के आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाया गया। वादी के मुताबिक नसीरपुर गांव में उसकी लगभग 1000 वर्ग गज जमीन है, जो उसे उसके पुरखों से मिली है। एक दिन अचानक से डीडीए जमीन अपनी होने का दावा करने लगा और वादी को डिमोलिशन या जमीन से बेदखल करने के लिए धमकाने लगा। दूसरी तरफ डीडीए ने दलील दी कि खसरा नंबर 393 के तहत जमीन उसकी है और वादी उसे हड़पना चाहता है। अदालत ने हालांकि वादी के पक्ष में अंतरिम आदेश पारित किया था।