नई दिल्ली।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अथॉरिटी से कहा कि वे दिसंबर 2019 में जामिया में हुई हिंसा के संबंध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक की गई अपनी कार्रवाई के बारे में बताएं। यूनिवर्सिटी में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध के बाद दिल्ली पुलिस ने यह विवादित कार्रवाई की थी।
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पीड़ितों को मुआवजा देने के संबंध में रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा। पुलिस से पूछा कि उसने स्टूडेंट्स के साथ कथित तौर पर अत्याधिक बल का इस्तेमाल करने वाले अपने पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने पुलिस के वकील से सवाल करते हुए पूछा कि क्या वह उन पुलिसवालों की पहचान कर सके? कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई? हाईकोर्ट जामिया हिंसा मामले में दाखिल कई याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई कर रहा था। वकील ने कहा कि उन्हें विभाग से निर्देश लेकर जवाब देने के लिए वक्त चाहिए। वकील ने कहा कि याचिकाएं सुनवाई के लायक नहीं हैं क्योंकि एनएचआरसी पहले ही याचिकाकर्ताओं में से एक की याचिका पर अपना फैसला सुना चुका है।
हाईकोर्ट के सामने एसआईटी, जांच आयोग या फैक्ट फाइंडिंग समिति के गठन, मेडिकल इलाज, मुआवजा संबंधी कई याचिकाएं लंबित हैं। इनमें कथित हिंसा में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ एफआईआर की मांग भी शामिल है। एनएचआरसी ने मई 2020 की रिपोर्ट में पीड़ितों को मुआवजा देने की सिफारिश की। आयोग ने केंद्र, दिल्ली पुलिस और अन्य अधिकारियों को सुझाव दिया कि सीसीटीवी कैमरों को नुकसान पहुंचाने में शामिल और अनावश्यक रूप से जेएमआई की लाइब्रेरी के अंदर कैनिंग और आंसू गैस के गोले छोड़ने वाले पुलिसकर्मियों की पहचान की जाए और फिर उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई हो।