नई दिल्ली।
दिल्ली के अस्पतालों में अंगदान पर अब उत्तरी राज्यों का भी अधिकार होगा। राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) ने पहली बार दिल्ली को उत्तरी क्षेत्र से जोड़ा है, जिसके बाद दिल्ली के अस्पतालों में अंगों की मांग न होने पर उन्हें दूसरे राज्य के अस्पताल में प्रत्यारोपण के लिए भेजा जा सकेगा। इस फैसले के बाद अंगदान का लाभ दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भी मिलेगा। दान में मिले अंगों को समय रहते प्रत्यारोपित करने के लिए नोटो ने देश को अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा हुआ है। अभी तक दिल्ली इनमें से किसी भी क्षेत्र का हिस्सा नहीं था। बीते छह दिसंबर को नोटो की ओर से जारी आदेश में कहा है कि दिल्ली को अब उत्तरी क्षेत्र से जोड़ा जा रहा है जो पीजीआई चंडीगढ़ में है। अब दिल्ली के अस्पतालों में ब्रेन डेड दाताओं को उत्तरी क्षेत्र की प्रतिक्षा सूची के साथ जोड़ा जाएगा।
जहां जरूरत, वहां पहुंचाए जाएंगे अंग
अब दिल्ली के किसी अस्पताल में भर्ती मरीज को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है और परिजन अंगदान की स्वीकृति देते हैं तो एक दाता से आठ लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। उस वक्त अगर दिल्ली के अस्पतालों में किसी अंग की मांग नहीं होगी तो उसे उत्तरी राज्यों के अस्पतालों को प्रतिक्षा सूची के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा। देश में सबसे ज्यादा जीवित दाता से अंग लेकर प्रत्यारोपण दिल्ली के अस्पतालों में किया जाता है। साल 2022 में दिल्ली में 3,422 जीवित दाताओं ने अंग दान किए। दिल्ली के बाद दूसरा स्थान तमिलनाडु का है, जहां 1,690 प्रत्यारोपण हुए हैं।
राज्यों के बीच समन्वय जरूरी
नोटो के अनुसार राज्यों के बीच आपसी समन्वय जरूरी है। 2013 से 2022 तक एक-दूसरे की मदद से हजारों लोगों को नया जीवन देने में सफलता हासिल की है। एक साल में सबसे ज्यादा मृत दाता का रिकॉर्ड 2022 में बना जब 941 मृत दाताओं का अंगदान हुआ, जिनसे किडनी, लिवर, हृदय, पेनक्रियाज, फेफड़ा और छोटी आंत को अन्य मरीज में प्रत्यारोपित किया गया। 941 मृत दाताओं के अंगों ने 2,694 लोगों को नया जीवन दिया है, जबकि 2016 में 930 दाताओं से अंग लेकर 2,265 मरीजों को प्रत्यारोपित किए गए।
हर किसी को मिलेगा लाभ
राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि अभी तक दिल्ली किसी क्षेत्रीय संगठन का हिस्सा नहीं था। इसलिए उत्तरी क्षेत्र से जोड़ते हुए मृत दाता और प्रतिक्षा सूची को लेकर दिल्ली और अन्य उत्तरी राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने का प्रयास किया है। हमें पूरी उम्मीद है कि आगामी दिनों में इसके काफी बेहतर परिणाम मिलेंगे और दूसरे राज्यों में भी प्रत्यारोपण के साथ-साथ अंगदान को बढ़ावा मिलेगा।