28/11/2023
पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय) के मंत्री पशुपति कुमार पारस की ताकत में कमी हो गई है। दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के स्थापना दिवस को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान और लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय) के सर्वेसर्वा पशुपति पारस अलग-अलग मनाने पहुंचे तो यह खबर सामने आई है। पारस गुट की वीणा देवी चिराग पासवान की ओर से आयोजित स्थापना दिवस में पहुंच गईं। उनकी इस उपस्थिति से पिछले साल जुलाई-अगस्त में उठी हवा अब रुख बदलने का संकेत दे रही है। पिछले साल पारस गुट के टूटने की खबर आई थी तो वीणा देवी के साथ तीन सांसदों ने लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय) के प्रति आस्था जताई थी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ राजनीति में चिराग पासवान सिरमौर बनकर उभरे हैं, यह 2020 के विधानसभा चुनाव में साबित हो चुका है। उस चुनाव के बाद भाजपा ने नीतीश के साथ रहते हुए चिराग से जो दूरी बनाई थी, वह बिहार में राजग की जगह महागठबंधन सरकार के बनते ही धीरे-धीरे खत्म होने लगी। चिराग भाजपा के नजदीक आने लगे तो चाचा पशुपति पारस की परेशानी बढ़ने लगी। इसके बाद हाजीपुर सीट को लेकर इन दोनों के बीच गतिरोध कई स्तर पर शुरू हुआ और बीच-बीच में विलय की अफवाहों के साथ पारस गुट के खत्म होने की भी खबरें आती रहीं। इसी तरह की खबरें अगस्त 2022 में शांत हुई, जब वैशाली से राजद के रघुवंश सिंह को लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर हराकर संसद पहुंची वीणा देवी ने बाकी तीन सांसदों के साथ खड़े होकर लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय) के प्रति श्रद्धा दिखाई थी। पिछले दिनों दिवंगत राम विलास पासवान के श्राद्ध कार्यक्रम में उनके पैतृक गांव खगड़िया के शहरबन्नी में जब पूरा कुनबा चिराग के साथ खड़ा नजर आया तो राजनीतिक कुनबे में भी कुलबुलाहट दिखने लगी। स्थापना दिवस समारोह में इसका एक प्रमाण वीणा देवी की इस तरह उपस्थिति से सामने आ गया है। वीणा ने चाचा-भतीजे के रिश्ते पर बात नहीं की, लेकिन अपनी उपस्थिति के साथ उन्होंने साफ कर दिया कि अब मंत्री पारस के सामने सांसद चिराग पासवान भारी पड़ रहे हैं।