Monday, February 10, 2025
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यादें: क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी बेहतरीन इंसान के साथ थे मजाकिया, हंसा-हंसा कर कर देते थे लोट-पोट

हमेशा रहा यह मलाल बेटे अंगद को नहीं बना सके क्रिकेटर!

विजय कुमार, नई दिल्ली।

भारत में इन दिनों विश्व कप क्रिकेट को लेकर माहौल बना हुआ है। जहां मेजबान भारत ने पांच मैच जीत कर अपने को अंक तालिका के पहले स्थान पर बनाया हुआ है। मगर विश्व कप के पूरे होने से पूर्व ही क्रिकेट जगत के लिए एक बुरी खबर सामने आई है, कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और लीजेंड लेफ्ट ऑर्म स्पिनर बिशन बेदी अब नहीं रहे। 77 वर्ष की उम्र में निधन पर कुछ यादें उनकी रही है-उन्हीं यादों में से एक बिशन सिंह बेदी को लोग एक क्रिकेटर के रूप में भले ही अधिक जानते हो, मगर वह एक जिंदा दिल इंसान भी थे। वह क्रिकेट छोडने के बाद दिल्ली ही नहीं कई राज्यों के कोच और चयनकर्ता भी रहें। जहां तक अनुभव की बात है, जब मैनें पत्रकारिता शुरू ही की थी कि बिशन सिंह बेदी का अक्सर डीडीसीए में आना जाना हुआ करता था। वह तत्कालिन समय के खेल सचिव रहे सुनील देव और मनमोहन सूद के पास अक्सर आकर बैठा करते थे। जहां वह वर्तमान और अपने समय की क्रिकेट की बातें किया करते थें। बिशन सिंह बेदी क्रिकेट के अलावा चुटकले सुनाने में भी माहिर थे। उनके चुटकले सुनाने के बाद शायद ही कोई अपनी हंसी रोक पाता था।

उनक कैंप जिसने किया वह कभी नहीं रहा अनफिट

बिशन सिंह एक बेहतर कोच भी थे उनकी कोचिंग में स्पिन गेंदबाजी पर कमाल दिखाने वाले पूर्व क्रिकेटरों में हरभजन सिंह और शरणदीप को तो आप लोग जानते ही है। कहा यह भी जाता है कि बेदी जी का फिटनेस कैंप जिसने कर लिया वह कभी भी क्रिकेट में कभी अनफिट नहीं हो सकता। एक किस्सा उन दिनों का भी है जब भारतीय टीम को इग्लिश दौरे पर जाना था। हर बार की तरह टीम को दो विकेटकीपरों को जाना था। जिसमें दिल्ली के एक विकेटकीपर का जाना लगभग तय हो चुका था। मगर दिल्ली के एक कोच को उनके खिलाफ बोलने की सजा चेले को भुगतनी पडी। उस टीम में एकमात्र विकेट कीपर को ले जाया गया और दिल्ली ही नहीं, देश के श्रेष्ठ विकेटकीपरों में शुमार होने वाले मोहन चर्तुवेदी को देश में ही रहना पड़ा। असल में सुभानियां क्लब के खिलाडी मोहन चर्तुवेदी के कोच राधे श्याम ने बिशन सिंह बेदी को दिल्ली के एक मैच में काफी कुछ गलत सुना डाला था। जिसका गुस्सा उस क्रिकेटर चुकाना पडा। मोहन चर्तुवेदी के स्थान पर जिसको ले जाया गया वह बिशन सिंह बेदी के बल्लेबाज चेले थे, जिन्हें आज टेस्ट क्रिकेटर का दर्जा मिला हुआ है।

डीडीसीए प्रशासन के खिलाफ हमेशा खड़े रहे

बिशन सिंह बेदी ने दिल्ली की क्रिकेट को सुधारने का भी काफी प्रयास किया। वह अक्सर प्रशासन के खिलाफ क्रिकेटरों की लडाई में खडे़ रहे। डीडीसीए ने उनके सम्मान में कोटला में स्टैंड तो बना दिया। मगर वह सम्मान नहीं दिया, जो उनका बनता था। बिशन सिंह बेदी जहां एक शानदार क्रिकेटर थे वह कोच की भूमिका में भी किसी से किसी बात का समझौता नहीं किया करते थे। उस दौरान के क्रिकेटर बताते है कि वह सबसे अधिक रूष्ट मैदान पर लेट आने वाले से हुआ करते थे। क्रिकेटर को किस तरह की ड्रेस पहनकर आना चाहिए, अक्सर ध्यान में रखते थे।

बेटे को नहीं बना सके क्रिकेटर

बिशन सिंह बेदी ने भले ही काफी क्रिकेटरों को अपनी स्पिन डालने के तरीके बताए हो, मगर वह अपने बेटे अंगद बेदी को क्रिकेटर नहीं बना सके। शायद इसका मलाल उनको ताउम्र रहा होगा। आज अंगद एक मॉडल हैं। उनकी पत्नी भी बॉलीवुड की अभिनेत्री हैं। यादें तो बहुत है मगर प्रत्येक को जगह मिल जाए ऐसा हो नहीं सकता। एक जिंदा दिल इंसान रहे बिशन सिंह बेदी के निधन पर दुख है।

डिस्क्लेमर: लिखने वाले विचार एक वरिष्ठ पत्रकार के उसके खुद के अनुभव के हैं, इसके कंटेंट के लिए न्यूज ऑफ द डे जिम्मेदार नहीं है.

Imran Khan
Imran Khan
[Imran] has spent over [X] years in the media industry, honing [his/her/their] craft in political analysis. At Notdnews, [he] are committed to delivering in-depth coverage that resonates with readers and sparks meaningful conversations.
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