इनफॉर्म करने के बाद भी अप्रूवल में की रही गड़बड़
विजय कुमार, नई दिल्ली।
राजधानी में रविवार 15 अक्टूबर को होने वाले आईसीसी विश्व कप के मुकाबले को लेकर मीडिया हैरान और परेशान है। दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर रविवार को इंग्लैंड और अफगानिस्तान के बीच आईसीसी विश्व कप का मुकाबला खेला जाना है। क्रिकेट के इस विश्व कप मुकाबले को कवर करने की तमन्ना हर छोटे बड़े पत्रकार की होती है। लेकिन दिल्ली में मैचों की कवरेज के लिए दिल्ली के पत्रकार ही स्टेडियम से बाहर कर दिए गए हैं। हालाकि आईसीसी द्वारा पत्रकारों को इवेंट कवर करने के लिए मंजूरी भी दी गई, मगर बाद में वापस भी ले ली गई। क्रिकेट के इस खेल को यहां तक लाने में प्रिंट मीडिया का बहुत बड़ा रोल रहा है। क्रिकेट ही नहीं हर खेल की खबर को घर-घर तक पहुंचने में मीडिया अहम भूमिका निभाती आई है।
भारत मैं यह चौथी बार क्रिकेट वर्ल्डकप आयोजित किया जा रहा है। परंतु भारत की राजधानी के पत्रकारों के साथ भेद भाव की एक छवि भी सामने आ रही है। जहां विश्व कप के इवेंट को कवर करने के लिए भारत देश की राजधानी दिल्ली के काफी नामी अखबारों के रिपोर्टर के कार्ड बनाए गए, परंतु उन्हें मैच कवर के लिए अनुमति नहीं दी गई। वहीं कुछ के तो कार्ड ही नहीं बन सके। यही नहीं कुछ अखबारों के दो तो किसी के चार कार्ड बना दिए गए जबकि कई संस्थाओं का एक कार्ड भी नहीं बनाया गया। अब अप्रूवल में भी गड़बड़ की जा रही है।
डीडीसीए के मीडिया अधिकारियों ने रिपोर्टर के नाम की लिस्ट तक मांगी थी उसके बावजूद उनके नाम शामिल नहीं किए जा रहे। जिन्होंने वाट्सऐप ग्रुप पर नाम भेजे, उन पत्रकारों के नाम भी लिस्ट में शामिल नहीं किए जा रहे। जिससे वह मैच कवर नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि सभी जाने-माने संस्थान और पत्रकार क्रिकेट वर्ल्डकप का सालो से इंतजार करते हैं। वही डीडीसीए जिसको राजधानी के क्रिकेट से जुड़े होने वाले सभी इवेंट का हुकुमरान माना जाता है वो इस भेद भाव में आईसीसी के साथ कदम से कदम मिलाकर अपना योगदान देने को तत्पर है।
बता दे कि डीडीसीए फिरोजशाह कोटाला में क्रिकेट के आयोजन को संभालता है। डीडीसीए ही आईसीसी को मीडिया लिस्ट अप्रूव कर आगे भेजता है जिसके बाद ही आईसीसी मीडिया पर्सनल्स का कार्ड बनाती है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि डीडीसीए द्वारा आईसीसी की गलत लिस्ट आने के बाद भी आपत्ति नहीं उठाई गई । मगर जब पत्रकारों ने अपना विरोध दर्ज किया तो अधिकारियों की नींद खुली। तथा कुछ न कुछ अच्छा करने की बात कही गई। अब देखना होगा की इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है और किसकी जिम्मेदारी बनती है उस पर क्या फैसला लिया जाएगा। फिलहाल कई पत्रकार तो अभी भी सकते में है कि वह रविवार के बाद के बचे दो मैच भी कवर कर पाएंगे या नहीं।
डिस्क्लेमर: आर्टिकल लिखने वाला एक बहुत ही वरिष्ठ खेल पत्रकार है। यह न्यूज उसके द्वारा लिखी गई है।