नई दिल्ली।
90 के दशक के सिनेमा में रचे बसे अपनी आंखों में वैसा ही नेचुरल सिनेमा बनाने की सोच रखते हैं फ़िल्मकार सुदीप डी.मुखर्जी ने रंजन कुमार सिंह, लेख टंडन और प्रकाश मेहरा जैसे फिल्मकारों से डायरेक्शन की विधिवत ट्रेनिंग लेकर स्वतंत्र रूप से निर्देशक के रूप में अपनी पहली फिल्म का बीड़ा उठाया तो फिल्म का प्रारूप 90 के सिनेमा को ही चुना और इसी बैकड्रॉप पर फिल्म ‘चट्टान’ बनाई है। फिल्म 22 सितंबर को पूरे भारत में रिलीज की जा रही है।
जांबाज़ पुलिस अफसर और उसके परिवार को सच्चाई और अपने कर्तव्य के खातिर सिस्टम के खिलाफ जाकर कितना संघर्ष करना पड़ता है। इस भिड़ंत में उसे क्या कुछ गंवाना पड़ता है यही ‘चट्टान’ में दिखाया गया है रियल स्टोरी के साथ लेखक निर्देशक सुदीप डी.मुखर्जी ने।
जब 1990 के बैकड्रॉप पर एक घटित मार्मिक घटनाक्रम पर स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स के साथ एक्शन ड्रामा और म्युजिकल फिल्म ‘चट्टान’ का ड्राफ्ट फाइनल किया तो उनके दिलो दिमाग में यह विजन आईने की तरह साफ रहा कि स्क्रिप्ट के अनुसार सभी किरदार सहज और स्वाभाविक लगें।
मध्य प्रदेश के कस्बे देवपुर के पुलिस थाने में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर रंजीत सिंह के रोल के लिए उन्होंने कई अभिनेताओं से संपर्क किया उन्हें एक ऐसा अभिनेता उस जांबाज़ इंस्पेक्टर के रुप मे चाहिए था जो कि समाज के लिए खतरा बने डॉन और उनकी गैंग के खिलाफ शंखनाद करे, बिना किसी समझौते के और वो भी अपनी पत्नी परिवार के दायित्व के साथ…..इस अहम रोल के लिए हिंदी, गुजराती, राजस्थानी, मलयालम, तामिल आदि फिल्मों में अपने अभिनय कौशल का लोहा मनवा चुके जीत उपेंद्र का चयन किया।
परिवारिक जवाबदेही संभालने के साथ अपने जांबाज़ इंस्पेक्टर पति के साथ उसकी नौकरी और फ़र्ज़ निभाने में बराबर की साझेदारी करने वाली पत्नी रजनी की मुख्य भूमिका में तहकीकात, अधिकार, सांस, आशीर्वाद, बंधन, सिसकी, आहट, शांति, मोहनदास बी.ए.एल.एल.बी आदि विभिन्न धारावाहिकों में अपनी एक्टिंग की धाक जमा चुकी अभिनेत्री राजनिका गांगुली को अनुबंधित किया। जिन्होंने एम.पी.की टिपिकल गर्भवती पत्नी दिखने के लिए 20 किलो अपना वजन बढ़ाया और अपने रोल के साथ न्याय किया।
‘चट्टान’ ‘का सबसे चैलेंजिंग रोल है काले धंधों में लिप्त डॉन मुन्ना भाई का…जिसका कदम कदम पर इसंपेक्टर रंजीत से टकराव होता है। इस रोल में बहुत शेड्स हैं, वह धाकड़ पर्सनॅलिटी का मालिक तो है ही साथ ही कूटनीति के बल पर अपने काम निकलवाने में भी माहिर है। इस फुल फलेश विलन का रोल 300 से भी अधिक फ़िल्में कर चुके तेज सप्रू को सौंपा है। वह पहली बार चट्टान में स्वतंत्र रूप से खलनायक बने हैं। उन्होंने अपना किरदार बेहतर निभाया है।
चट्टान में सब इंस्पेक्टर अजय कुमार का चरित्र भी काफी महत्वपूर्ण है इसका पूरा मैनरिज़्म, इंस्पेक्टर रंजीत के साथ सहयोगी अपने सिद्धांतों पर काम करने वाले पुलिस सहकर्मी का है। इस किरदार को आत्मसात किया है कयामत से कयामत तक, शिवा, पापी, जो जीता वही सिंकदर, नरसिम्हा, बेटा, दिल आदि 400 फिल्मों में विलन का किरदार करने वाले अभिनेता ब्रिज गोपाल ने…उनके लिए भी यह रोल चुनौतीपूर्ण रहा। अपने पूरे कैरियर में ब्रिज गोपाल ने पहली बार पोजेटिव रोल किया है।
चट्टान में नृत्य निर्देशन, संपादन, लेखन और निर्देशन के अतिरिक्त सुदीप डी मुखर्जी ने गीतकर और संगीतकार की भी जिम्मेदारी का निर्वाह कुशलता से किया है। उन्होंने सांग्स राइटिंग सिचुएशनल, मीनिंगफुल और म्यूजिक अरेंजमेंट इंटीलीयूड, सिंगर्स की वॉइस क्वालिटी बिलकुल 90 के एरा की रखी है। कुमार सानू, प्रिया भट्टाचार्य, देवाशीष दासगुप्ता, प्रीथा मजुमदार, आबिद जमाल और अनन्या बासु ने गायिकी का बेहतरीन रंग जमाया है।