
नई दिल्ली।
दुनिया में ऐसे अनेक स्थान हैं, जिनके साथ अद्भुत प्रकार की मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आप उनके बारे में सुनकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। कहीं-कहीं भौगोलिक रूप से विशेषता होती है, जबकि कहीं प्राकृतिक रूप से ऐसी घटनाएं दिखती हैं कि लोग चौंक जाते हैं। इस प्रकार की एक जगह रूस में भी है, जहाँ एक विशाल गड्ढा बना है। इस गड्ढे की विशेषता यह है कि हेलीकॉप्टर जब इसके ऊपर आते हैं, तो कभी वापस नहीं जा पाते।
एक रिपोर्ट के अनुसार, यह गड्ढा रूस के मिर्नी नामक गांव में स्थित है। यहां के परिस्थितियों के आधार पर, इस गड्ढे का क्षेत्रफल 280 मील वर्ग में है। यह एक खदान रहा है, जहां से हीरे निकाले जाते हैं। इस गड्ढे का व्यास 3900 फुट है और उसकी गहराई 1722 फुट है। इस गड्ढे के साथ जुड़ी कई अनोखी घटनाएं हुई हैं, जिनके कारण इसे 20 साल पहले बंद कर दिया गया था।
हेलीकॉप्टर्स को निगल जाता गड्ढा
वर्षों से बंद रही इस खदान में छोटे-मोटे विमान और हेलीकॉप्टर गहराई में खिंच जाते थे। खदान 1000 फीट से नीचे उड़ती चीजों को खुद को अपनी ओर आकर्षित कर निगल लेती थीं, इसलिए यहां के वायुक्षेत्र को बंद कर दिया गया। कहा जाता है कि ठंडी हवा और गरम हवा के मिलने के कारण जो आकर्षण उत्पन्न होता है, वह चीजें वायुमंडल में ही खो जाती हैं, जिससे कई चीजें गुम हो जाती हैं। 2017 में, यहां भारी बारिश हुई थी, जिसमें इस रहस्यमय आकर्षण का भी योगदान माना जाता है। हालांकि फिर भी साल 2030 में इसे खोलने की योजना बन रही है और माइनिंग कंपनी एलरोसा यहां खनन करेगी।
कभी गड्ढे से हीरे उगलते थे
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद, जब रूस ने अपनी स्थिति को सुधारने के लिए कदम उठाए, एक भूविज्ञानी टीम ने इस जगह पर हीरे की खोज की। 1957 में, स्टालिन के आदेश के अनुसार, इस खदान की खुदाई शुरू हुई, लेकिन यहां की अत्यधिक ठंडे मौसम की वजह से काम करना मुश्किल था। 1960 में, इस खदान से हीरे निकलना शुरू हो गए। पहले 10 वर्षों में 1 करोड़ कैरेट के विशालकाय हीरे हर साल निकले थे। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण हीरे में से 342.57 कैरेट के लेमन यलो डायमंड थे। डी बीयर्स नामक डायमंड कंपनी ने यहां से करोड़ों रुपये के हीरे निकाले हैं।