नई दिल्ली।
सिम कार्ड के वैरीफिकेशन को लेकर सरकार अलर्ट मोड पर आ चुकी है। जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने एक नया नियम लागू कर दिया है। इस नियम के तहत बल्क सिम जारी करने की प्रक्रिया को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। जितने भी डीलर सिम कार्ड बेचते हैं, उन्हें अब ऐसे ही सिम कार्ड नहीं दिया जाएगा। दरअसल अब सिम कार्ड खरीदने के लिए डीलर्स को वेरिफिकेशन करवाना पड़ेगा और तब जाकर उन्हें सिम कार्ड दिया जाएगा।
ये है सरकार का मकसद
दरअसल इस कदम को उठाने के पीछे सरकार का मकसद साफ है। सरकार पूरी तरह से साइबर क्राइम पर लगाम लगाना चाहती है जिसकी वजह से अब तक लाखों लोगों को करोड़ों रुपयों की चपत लग चुकी है। आपको बता दें कि इस बात की जानकारी केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी है।
आखिर क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार दूरसंचार मंत्रालय अब साइबर फ्रॉड रोकने की दिशा में जोर शोर से प्रयास कर रहा है। इस प्रयास के तहत ही, सरकार ने 52 लाख सिम कार्ड्स को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया है जिससे साइबर फ्रॉड्स की घटनाओं को अंजाम न दिया जा सके। इन सिम कार्ड्स को खरीदने की प्रक्रिया पूरी तरह से अवैध थी और फर्जी तरीके से इन्हें लिया गया था जिसके बाद सरकार ने एक्शन करते हुए तुरंत ही इन कनेक्शंस को बंद कर दिया है और अब इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
डीलर्स को भी सरकार ने किया ब्लैकलिस्ट
फर्जी तरीके से सिम कार्ड बेचने के मामले में सरकार ने तकरीबन 67 हजार सिम कार्ड डीलर्स को भी ब्लैकलिस्ट किया गया है। जानकारी के अनुसार ऐसा करने से साइबर फ्रॉड से लड़ने में मदद मिलेगी और इन पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा सकेगी। मौजूदा समय में सिम कार्ड डीलर्स को 12 महीने का समय दिया गया है और इसी दौरान ये लोग वेरिफिकेशन करवा सकते हैं।