Monday, February 10, 2025
Homeक्राइमपत्नी को एक माह कैद की सजा सुना हाईकोर्ट ने कहा- आचरण...

पत्नी को एक माह कैद की सजा सुना हाईकोर्ट ने कहा- आचरण बर्दाश्त नहीं किया जा सकता

तलाक की शर्तों को नहीं मानने पर सुनाई यह सजा

नई दिल्ली।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को अदालत की अवमानना के लिए एक महीने की कैद की सजा सुनाई है। महिला अपने पति के साथ वन टाइम तलाक के लिए किए गए समझौते की शर्तों से मुकर गई थी। हालांकि हाईकोर्ट ने अपने आदेश को दो हफ्ते के लिए निलंबित करके महिला के लिए एक खिड़की खुली रखी ताकि वह अवमानना से मुक्ति के लिए कदम उठा सके और ऐसा न करने पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को उसे हिरासत में लेने का निर्देश दिया ताकि उसे एक महीने की साधारण कारावास की सजा काटने के लिए तिहाड़ जेल भेजा जा सके।

ऐसा असाधारण आदेश देने के लिए विवश हुईं जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने अपने फैसले में कहा- समझौते से पीछे हटने संबंधी पत्नी के आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। यदि प्रतिवादी को समझौता नहीं मानने की छूट दी गई तो न्यायिक प्रणाली और न्यायालय के आदेशों से लोगों का विश्वास खत्म हो जाएगा। बता दें कि छवि अग्रवाल नाम की महिला ने 2015 में अनुराग गोयल से शादी की थी लेकिन स्वभावगत मतभेदों के कारण अप्रैल 2017 से दोनों अलग-अलग रहने लगे थे।

इस प्रक्रिया में पति-पत्नी की ओर से एक-दूसरे और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दिल्ली और मुंबई में विभिन्न मंचों पर आपराधिक मामलों समेत लगभग 20 कानूनी वाद दायर किए गए। आखिरकार बात तलाक तक पहुंची और इसके लिए उन्होंने फैमिली कोर्ट के समक्ष मध्यस्थता का विकल्प चुना। दोनों पार्टियों के बीच समझौते की शर्तें तय कर दी गईं।

इस बात पर सहमति बनी कि पति अपनी शादी को खत्म करने और दोनों पक्षों के बीच सभी लंबित मुकदमों को समाप्त करने के लिए एकमुश्त समझौते के रूप में बॉम्बे में पत्नी को कई करोड़ रुपये की संपत्ति उपहार में देगा। समझौते में कुछ सहायक मुद्दों का भी निपटारा हुआ। पत्नी उस सोसायटी को, जहां घर स्थित है, 13.48 लाख रुपये से अधिक के रखरखाव शुल्क का भुगतान करने पर सहमत हुई।

सितंबर 2022 में दोनों पक्षों की ओर से समझौते की पुष्टि की गई। एक संयुक्त बयान दायर किया गया। इसमें शर्तों का पालन करने के लिए पत्नी की ओर से भी एक हलफनामा दायर किया गया। समझौते में उल्लेख था कि यदि दोनों में से कोई भी समझौते की शर्तों को मानने से इनकार करता है तब उसके खिलाफ अदालत की अवमानना ​​अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

दो महीने के भीतर, पति को पत्नी से एक मेल प्राप्त हुआ। इसमें पत्नी ने फ्लैट के लिए गिफ्ट डीड को मंजूरी देने से इनकार कर दिया क्योंकि वह दस्तावेजों को सत्यापित करने पर जोर दे रही थी। वह मांग कर रही थी कि पति की ओर से भुगतान किया जाने वाला भरण-पोषण शुल्क बाद में गिफ्ट डीड निष्पादित करते समय प्रतिपूर्ति किया जाए। इससे पूरा समझौता बेकार हो गया क्योंकि गिफ्ट डीड को अंतिम रूप देने के 10 दिन बाद, पार्टियों के बीच आपराधिक मामले वापस लेने थे।

पत्नी ने भी पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों की पैरवी शुरू कर दी। आखिरकार पति ने पिछले साल नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अवमानना ​​याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी को इस पर कोई पछतावा नहीं था। उसने खुले तौर पर अदालत से कहा कि वह समझौते की शर्तों से बंधी नहीं है।

आखिरकार हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा- यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि प्रतिवादी (पत्नी) जानबूझकर समझौते का उल्लंघन कर रही है। वह वचन का उल्लंघन कर रही है। अत: यह अदालत कंटेप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1971 के सेक्शन 2 (बी) के तहत प्रतिवादी पत्नी को नागरिक अवमानना का दोषी मानती है। अदालत ने पत्नी पर 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसका भुगतान नहीं करने पर उसे 15 दिन की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

Imran Khan
Imran Khan
[Imran] has spent over [X] years in the media industry, honing [his/her/their] craft in political analysis. At Notdnews, [he] are committed to delivering in-depth coverage that resonates with readers and sparks meaningful conversations.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments