24 अगस्त की अगली सुनवाई पर सीएमडी को अदालत में पेश होने का निर्देश
नई दिल्ली।
दिल्ली हाईकोर्ट में सन ग्रुप की चेयरमैन कलानिधि मारन ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर स्पाइसजेट के रोजाना रेवेन्यू का 50 पर्सेंट हिस्सा जब्त करने की मांग की है, ताकि इस एयरलाइन पर उनकी बकाया राशि का भुगतान हो सके। इस एयरलाइन पर मारन का 393 करोड़ रुपये बकाया है। मारन ने साप्ताहिक आधार पर इस रकम के भुगतान की मांग की है। मारन के आवेदन पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 अगस्त को स्पाइसजेट को नोटिस जारी किया। हाईकोर्ट ने एयरलाइन को एक हफ्ते के भीतर अकाउंट स्टेटमेंट और एसेट व लाइबलिटीज को लेकर हलफनामा पेश करने को कहा है। हाईकोर्ट ने स्पाइसजेट के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (सीएमडी) अजय सिंह को 24 अगस्त को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
मारन के वकील मनिंदर सिंह ने 9 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि स्पाइसजेट ने अब तक एसेट्स और लाइबिलिटीज को लेकर हलफनामा दायर नहीं किया है और हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के किसी आदेश का पालन नहीं किया है। सिंह ने आरोप लगाया स्पाइसजेट जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना कर रही है। मारन के मुताबिक, स्पाइसजेट पर उनकी बकाया राशि बढ़कर अब 393 करोड़ रुपये हो गई है। मारन का यह भी कहना था कि जब तक हाईकोर्ट कोई सख्त कदम नहीं उठाता, तब तक स्पाइसजेट न तो जरूरी दस्तावेज पेश करेगी और न ही बकाया राशि का भुगतान करेगी।
स्पाइसजेट की तरफ से सीनियर वकील संदीप सेठी ने कहा कि अदालत ने आदेशों का पालन करने के लिए कंपनी को 5 सितंबर तक का समय दिया है। उन्होंने कहा कि कोई भी सख्त आदेश एयरलाइन के हजारों कर्मचारियों और उन यात्रियों को बुरे तरीके से प्रभावित करेगा, जिन्होंने इस एयरलाइन का टिकट बुक कराया है। सेठी ने हाईकोर्ट से कहा कि एयरलाइन बिजनेस का प्रॉफिट मार्जिन सिर्फ 1 पर्सेंट है। हालांकि हाईकोर्ट ने इस मामले में स्पाइसजेट को नोटिस जारी करते हुए कहा कि एयरलाइन ने उसके पिछले आदेश का पालन नहीं किया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 जुलाई को स्पाइसजेट के खिलाफ आर्बिट्रेशन के फैसले को सही ठहराया था। साथ ही हाई कोर्ट ने 2020 में एयरलाइन को एसेट्स और लाइबलिटीज के बारे में हलफनामा देने को कहा था, जो एयरलाइन ने अब तक नहीं दिया है। स्पाइसजेट द्वारा ऐसा करने में नाकाम रहने पर हाईकोर्ट ने एयरलाइन के सीएमडी को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
स्पाइसजेट ने दिल्ली हाईकोर्ट के 2020 के उस ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उसे छह हफ्तों में 240 करोड़ रुपये जमा करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में दिल्ली हाईकोर्ट के ऑर्डर पर रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में मारन को 250 करोड़ की बैंक गारंटी भुनाने की अनुमति दी थी और स्पाइसजेट को कहा था कि वह मारन को 3 महीने के भीतर 75 करोड़ रुपये का भुगतान करे।