विभिन्न शैलियों की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों को फिक्की प्रकाशन अवार्ड से किया गया सम्मानित
नई दिल्ली।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने लर्निंग, रिसर्च और इनोवेशन में प्रकाशकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘पब्लिकॉन 2023’ की मेजबानी की। यह कार्यक्रम नई दिल्ली स्थित फेडरेशन हाउस में आयोजित किया गया, जहां प्रकाशन उद्योग, शिक्षा जगत और भारत सरकार से जुड़ी प्रसिद्ध हस्तियां साहित्यक उपलब्धियों और लर्निंग, रिसर्च व इनोवेशन में प्रकाशन उद्योग की भूमिका को सेलिब्रेट करने के लिए एकत्र हुईं। कार्यक्रम के दौरान व्यवसाय, अनुवाद, डिजाइनिंग, फिक्शन, नॉन-फिक्शन और बाल साहित्य सहित विभिन्न शैलियों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली पुस्तकों को फिक्की प्रकाशन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने कहा कि, “हमारे दर्शन और परिकल्पना को कहानी कहने के माध्यम से शिक्षार्थियों तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शिक्षार्थी कथाओं के शिक्षाप्रद अवयवों को जोड़कर संबंधित पाठ को तेजी से सीखते हैं।”
डॉ. देबप्रिया दत्ता, प्रमुख/वैज्ञानिक ‘जी’, साइंस फॉर इक्विटी, एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट (सीड) प्रभाग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने रिसर्च को मापने के विभिन्न संकेतकों पर भारत के प्रदर्शन को साझा किया। उन्होंने कहा, ” रिसर्च कम्युनिकेशन(संचार) या रिसर्च के विषयों का पूर्वानुमान तथा प्राथमिकीकरण उनकी संभावित सामाजिक और आर्थिक प्रगति को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, प्रकाशक इस कम्युनिकेशन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के वैज्ञानिक ‘डी’ डॉ. रेम्या हरिदासन ने कहा, “नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) बिल प्रकाशकों के लिए भारत के रिसर्च( अनुसंधान) आउटपुट को बढ़ावा देने में योगदान करने के नए रास्ते खोलता है।”
फिक्की प्रकाशन समिति के चेयरमैन और स्कोलास्टिक इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री नीरज जैन ने उद्योग की सहयोगात्मक प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए कहा, “फिक्की प्रकाशन अवार्ड न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों को बढ़ावा देते हैं। बल्कि प्रकाशन पारिस्थितिकी तंत्र की सामूहिक ताकत का भी प्रदर्शन करते हैं।
फिक्की प्रकाशन समिति की सह-अध्यक्ष और एमबीडी ग्रुप की प्रबंध निदेशक सुश्री मोनिका मल्होत्रा कंधारी ने इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा, “बहुत सा कंटेंट तैयार और प्रकाशित किया जा रहा है, इसलिए प्रत्येक प्रकाशित जानकारी के साथ आने वाली जिम्मेदारी को पहचानना महत्वपूर्ण है। किसी भी सामग्री को प्रकाशित करने से पहले गहन शोध करना आवश्यक है।”
इस आयोजन ने उद्योग जगत के नेताओं, सरकारी अधिकारियों और साहित्यिक उत्साही लोगों को प्रकाशन के उभरते परिदृश्य और शिक्षा, रिसर्च और इनोवेशन पर इसके प्रभाव के बारे में व्यावहारिक बातचीत में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान किया।