1942 में भारत के रूपकुंड में ब्रिटिश गश्ती दल ने एक चौंकाने वाली खोज की थी। समुद्र तल से लगभग 17,000 फीट ऊपर, एक छोटी सी घाटी में मानव कंकालों से भरी एक जमी हुई झील मिली थी।
गर्मी से बर्फ पिघल गई थी, जिससे कंकाल के अवशेष दिखाई देने लगे। कुछ पानी में तैर रहे थे और कुछ झील के किनारों के आसपास बेतरतीब ढंग से पड़े हुए थे। ये लोग कौन थे और इनकी मौत कैसे हुई, यह अभी तक एक रहस्य बना हुआ है।
उत्तराखंड के रूपकुंड को ‘कंकालों की झील’ भी कहा जाता है। ये झील साल भर जमी रहती है, मगर मौसम और सीजन के हिसाब से छोटी बड़ी होती रहती है। गर्मी के दिनों में बर्फ पिघलने लगती है. यही वक्त होता है जब यहां कंकाल नजर आते हैं। ठंड के दिनों में बर्फ इतनी ज्यादा जम जाती है कि कंकाल ठीक से नजर नहीं आते।
2021 की एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अब तक 600-800 लोगों के कंकाल यहां पाए जा चुके हैं। बर्फ में दबे रहने के कारण उनमें से कुछ पर मांस लगा रहा है। यहां की सरकार भी इस झील को रहस्यमयी बताती है, क्योंकि इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है।
बता दें कि साल 2004 में वैज्ञानिकों ने कार्बन डेटिंग से पता लगाया कि ये हड्डियां 1000 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। इसके अलावा कुछ हड्डियां लगभग 100 साल पुरानी हैं।