प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री से दो बार मुलाकात के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई
देशव्यापी भूख हड़ताल की ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति ने की घोषणा
नई दिल्ली।
ईपीएस(EPS)-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति, जो औद्योगिक/सार्वजनिक/सहकारी/निजी क्षेत्रों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती है, जिन्हें ईपीएस-95 पेंशनभोगी के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने राष्ट्र के विकास के लिए अपनी सेवा समर्पित की थी लेकिन उन्हें बेहद कम पेंशन राशि के कारण गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। ये पेंशनभोगी बहुत ही कम पेंशन के कारण संकटपूर्ण परिस्थितियों में जी रहे हैं और अपने परिवार और समाज में अपनी गरिमा खो रहे हैं।
हालांकि भारत सरकार ने जनता के कल्याण के लिए कई पेंशन योजनाएं लागू की हैं लेकिन इन ईपीएस कर्मचारियों को उनकी पूरी सेवा के दौरान पेंशन फंड में योगदान करने के बाद केवल नाममात्र की पेंशन राशि मिल रही है। यह राशि, जो वर्तमान में 1170/- रुपये निर्धारित है, बुजुर्ग पेंशनभोगियों की बुनियादी जरूरतों और भरण-पोषण में बिल्कुल विफल साबित हो रही है।
ईपीएस-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति ने पिछले सात वर्षों में दिल्ली में प्रदर्शन सहित स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय तक विभिन्न स्तरों पर विभिन्न विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं। NAC के मुख्यालय बुलढाणा (महाराष्ट्र) में दिनांक 24.12.2018 से जिलाधिकारी कार्यालय के सामने क्रमिक अनशन जारी है जिसका आज 1669 वाँ दिन है। संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों को ज्ञापन सौंपा गया है। माननीय प्रधान मंत्री के साथ दो बैठकों और आश्वासन और निर्देश प्राप्त करने के बावजूद, ईपीएफओ द्वारा निभाई गई नकारात्मक भूमिका के कारण ईपीएस-95 पेंशनभोगियों की मांगों को मंजूरी नहीं दी गई । समिति ने इसी संबंध में वित्त मंत्री से भी मुलाकात की है।
इसलिए संगठन के निर्णय के अनुरूप 20 जुलाई 2023 को एनएसी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत और केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्यों ने जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल करने की घोषणा की है। आगे समर्थन जुटाने के लिए देश भर के पेंशनभोगी उसी दिन प्रमुख स्थानों पर भूख हड़ताल भी करेंगे।
मांगें इस प्रकार हैं:
1- न्यूनतम पेंशन राशि को जीवन-यापन भत्ते के साथ बढ़ाकर 7500/- रुपये करें। यह राशि ईपीएफओ के पेंशन फंड से आवंटित की जा सकती है, या बजट में प्रावधान किया जा सकता है। यह मांग कोषयारी समिति (राज्यसभा याचिका 147) की सिफारिश के अनुरूप है, जो पिछले 10 वर्षों में जीवनयापन की बढ़ी हुई लागत (जीवनयापन भत्ते के साथ 3000/- रुपये या अधिक) पर विचार करती है।
2- 04.10.2016 और 04.11.2022 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की सही व्याख्या के अनुसार सभी ईपीएस-95 पेंशनभोगियों (01.09.2014 से पहले और बाद में सेवानिवृत्त) को बिना किसी भेदभाव के वास्तविक वेतन के आधार पर उच्च पेंशन का विकल्प प्रदान करें। इसके अतिरिक्त पहले प्राप्त राशि और उच्च पेंशन राशि के बीच के अंतर के लिए बकाया राशि को समायोजित करें।
3- सभी ईपीएस-95 पेंशनभोगियों और उनके जीवनसाथियों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करें।
4- ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारी जो ईपीएस-95 योजना में नामांकित नहीं थे, उन्हें सदस्य बनाकर शामिल करें या उन्हें 5000/- रुपये प्रति माह की पेंशन प्रदान करें। देश में ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संख्या काफी कम है।
संसदीय स्थायी समिति 20 अप्रैल को तथ्यात्मक जानकारी के साथ पेंशनर्स का पक्ष सुन चुकी है। उम्मीद है कि इसी मानसून सत्र में कमेटी की रिपोर्ट पेश होगी और सरकार पेंशनर्स की जायज मांगों को पूरा करेगी। लगभग 200 बुजुर्ग पेंशनभोगी अपने शेष वर्षों को सम्मानपूर्वक बनाए रखने के लिए इन मांगों पर निर्भर हैं। यदि इस मानसून सत्र में न्यूनतम पेंशन नहीं बढ़ाई गई तो देशव्यापी विरोध प्रदर्शन होगा और इसके परिणामों के लिए वर्तमान सरकार जिम्मेदार होगी।