1950 में बने दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस से सटे कमला नगर, उत्तरी दिल्ली की कहानी में पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी, कमला नेहरू, का नाम है। इस जगह पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र गपशप करने के लिए मशहूर हैं, और यह खासकर छात्रों के लिए मटरगश्ती और आंख मटक्का का केंद्र बन चुका है। इसके साथ-साथ, यहां बंगलो रोड पर किताबों की दुकानें और प्रकाशकों के दफ्तर भी हैं। लेकिन आजकल, यहां आपको चटपटे खाने और विभिन्न बड़े ब्रांड के रेस्टोरेंट्स जैसे मैकडॉनल्ड्स, डोमिनोज, कैफे कॉफी डे, स्टारबक्स आदि का भी आनंद लेने का मौका मिलेगा। इसके साथ-साथ, यहां आपको फैशन संबंधित स्टोर में नामी कपड़े और जूते भी मिलेंगे। इस कारण, यहां के कॉलेजों के छात्रों के अलावा भी छात्रों और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स करने वालों को यहां खरीदारी करते देखा जा सकता है।
शर्मा जी का होटल, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू के दौर में मशहूर हुआ था, बहुत धूम्रपान के बाजार रहा है। इस होटल के बड़े प्रशंसक भाजपा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी रह चुके हैं। शर्मा जी और उनके भाई द्वारा चलाए जाने वाले यह होटल विभिन्न प्रकार के चटपटे खाने का परिचालन करता है। होटल में एक लकड़ी के तख्त पर रुई की गद्दी बिछी हुई होती है, और यहां पर एक छोटा सा काउंटर रखा होता है जहां पर्ची और एक पेंसिल रखी होती है, जिसका उपयोग बिल बनाने के लिए किया जाता है। होटल की गद्दी पर शर्मा जी और उनके भाई बैठते हैं, और उनकी आवाज़ पूरे होटल में सुनाई देती है। इसके अलावा, होटल में एक रजिस्टर होता है जिसमें खाने वालों की हाजिरी का हिसाब रखा जाता है। होटल के दोनों भागों में ऊँची छत होती है। एक छोटा कमरा, एक बड़ा हॉल, और इसके आगे गली में एक रसोई घर होता है। हॉल के किनारे पर तालाबंद देसी घी की लटकन रखी जाती हपंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू ने 1950 में बनाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस के पास स्थित कमला नगर नामक स्थान, उत्तरी दिल्ली, दिल्ली जहां दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों का आने-जाने और आंख मटक्का करने का केंद्र बन गया है। यहां बंगलो रोड पर कई किताबों की दुकानें और प्रमुख प्रकाशकों के दफ्तर स्थित हैं। लेकिन आजकल यहां विभिन्न स्वादिष्ट खाने के स्थान, स्ट्रीट फूड विक्रेता से लेकर विदेशी ब्रांडों जैसे मैकडॉनल्ड्स, डोमिनोज, कैफे कॉफी डे, स्टारबक्स आदि तक का एक बड़ा भोजन केंद्र बन गया है। इसके साथ ही, यहां आपको बड़ी नामी कपड़े, जूते, फैशन आइटम की दुकानें भी देखने को मिलेंगी। इसी कारण से हंसराज कॉलेज, रामजस कॉलेज, मिरांडा हाउस, किरोड़ीमल कॉलेज, श्रीराम कॉलेज, स्टीफन कॉलेज, हिंदू कॉलेज, दौलतराम कॉलेज, फैकल्टी आफ लॉ, फैकल्टी आफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के छात्रों के अलावा पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले छात्रों को यहां किताबें खरीदते देखा जा सकता है।
हालांकि, साठ के दशक में दिल्ली यूनिवर्सिटी के अध्यापक, छात्रों और अन्य लोगों के बीच इस छोटे से चाचा के छोले भटूरे की दुकान, शर्मा जी का होटल और इंडियन कॉफी हाउस प्रसिद्ध थे। शर्मा जी के होटल के बिना दिल्ली यूनिवर्सिटी का इतिहास अधूरा था।
हजारों लोगों ने यहां खाना खाकर अपने भोजन का आनंद लिया है। पुराने छात्र जब भी मिलते हैं, तो शर्मा जी के होटल के बारे में बातें जरूर होती हैं।
मैंने बहुत सालों तक यहां पर भोजन किया है। इस होटल के मालिक शर्मा जी हिमाचल से थे, और उनके भाई शुरू में ही इस होटल को चला रहे थे। जब आप सीढ़ियों से ऊपर जाते हैं, तो आपके सामने दरवाजे पर एक छोटी सी लकड़ी की टेबल पर रुई की एक लंबी गद्दी रखी होती है। उसके सामने एपंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू ने 1950 में बनाए गए दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के पास स्थित कमला नगर को एक दिलचस्प तरीके से बदल दिया है। यहां पर भीड़-भाड़ है और विशेष रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की आंख मटक्का गतिविधियों और खाने-पीने का मजा लिया जाता है। इस इलाके में बंगलो रोड पर कई किताबों की दुकानें और प्रमुख प्रकाशकों के दफ्तर हैं। हालांकि, आजकल यहां पर चटपटे खाने, स्ट्रीट फूड से लेकर विदेशी और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड जैसे मैकडॉनल्ड्स, डोमिनोज, कैफे कॉफी डे, स्टारबक्स जैसे बड़े खाने-पीने के स्थान और फैशन के स्टोर भी मौजूद हैं। इसके कारण हंसराज कॉलेज, रामजस कॉलेज, मिरांडा हाउस, किरोड़ीमल कॉलेज, श्रीराम कॉलेज, स्टीफन कॉलेज, हिंदू कॉलेज, दौलतराम कॉलेज, फैकल्टी ऑफ लॉ, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के छात्रों के अलावा कई दूसरे लोग यहां आकर किताबें खरीदने और विभिन्न शोरूम और रेस्टोरेंट में गपशप करते देखे जा सकते हैं।
एक वक्त के दौरान, दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यापकों और छात्रों के बीच तीन स्थानों पर खाने की दुकानें थीं, एक चाचा के छोले भटूरे की दुकान, दूसरा शर्मा जी का होटल और इंडियन कॉफी हाउस। शर्मा जी के होटल का वर्णन किए बिना, दिल्ली विश्वविद्यालय का इतिहास पूरा नहीं हो सकता।
यहां बहुत सारे विशेष व्यक्ति खाना खाने आए हैं, जैसे आईएएस, आईपीएस, न्यायाधीश, प्रोफेसर, अभिनेता, नेता और अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं में रत्नगण हैं। इसके अलावा, जब पुराने छात्र मिलते हैं, तो शर्मा जी के होटल की चर्चा भी होती है।
मैंने बहुत सालों तक यहां पर भोजन किया है। इस होटल के मालिक, शर्मा जी, हिमाचल प्रदेश से थे, और पहले उनके भाई के साथ इस होटल कोचलाया जाता था। जब आप छोटी सी सीढ़ियों से ऊपर जाते हैं, तो आपके सामने दरवाजे पर एक छोटी सी लकड़ी की टेबल पर रुई की लंबी गद्दी होती है। वहां पर आपको दूसरे स्तर पर बैठे हुए शर्मा जी और उनके भाई का एक छोटा सा डेस्क और एक पेंसिल और पेपर की पड़ी दिखाई देती है, जिसे बिल तैयार करने के लिए उपयोग किया जाता है। होटल में खाने वालों की हाजिरी की दिखाने वाली रजिस्टर भी होती है। होटल के दोनों स्तरों पर ऊँची छत होती है। एक छोटा कमरा, एक बड़ा हॉल और एक आगे की गली में रसोईघर होता है। हॉल के किनारे देसी घी की लटकन बनी होती है और एक छोटा काउंटर होता है जहां आपके खाने की उपलब्धता का हिसाब रखा जाता है।
शर्मा जी के होटल में अनेक प्रकार के खाने का स्वाद मज़ेदार होता है और यहां की मशहूरत धूम्रपानीय भोजन के लिए है। यहां पर आप छोले भटूरे, राजमा चावल, पूरी आलू, दाल मखनी, चावल, परांठे, सब्ज़ी, रायता, और भी बहुत कुछ खा सकते हैं। होटल की गद्दी पर शर्मा जी और उनके भाई बैठते हैं और उनकी आवाज़ पूरे होटल में सुनाई देती है। हमेशा रूष्टम लीलावती, कटरी नाथ राय और इसके जैसे कई महत्वपूर्ण लोग यहां खाना खाने आते हैं।
यदि आप दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस पर जाते हैं, तो आपको शर्मा जी के होटल के एक दौर का अनुभव जरूर करना चाहिए।